मनका-22
|| धन्य दीप जहां सुरसर धारा ||
जिस प्रकार से आदि शंकराचार्य ने संपूर्ण भारत भ्रमण किया था उसी प्रकार से गुरु जी ने भी संपूर्ण भारत भ्रमण किया और पुनः नर्मदा क्षेत्र में आ गए. उन्होंने यह सार निकाला … Read more
जिस प्रकार से आदि शंकराचार्य ने संपूर्ण भारत भ्रमण किया था उसी प्रकार से गुरु जी ने भी संपूर्ण भारत भ्रमण किया और पुनः नर्मदा क्षेत्र में आ गए. उन्होंने यह सार निकाला … Read more
तारानगर पंछी तीर्थ में गुरुजी ने तो अंत समय में आकर विश्राम किया था. इसके पहले उनका सिर्फ और सिर्फ भृमण था. वे सदा चलते रहते थे … Read more
सत्य तो यह है कि गुरुजी का अनुभव और उनकी वाणी वेदों से परे थी. ऐतिहासिक था उनका जीवन. मध्य आयु में उत्तर की ओर गुरुजी ने … Read more
|| लाखों योजन पर्वत ऊंचे घाटी विकट करोड़ और करकर जतन फिरे बहुतेरे पहुंचे बिरला सूर||
एक पुराना गीत है ,तूने रात बिताई सोए के दिवस बिताया खाए के हीरा जन्म अमोल है कौड़ी बदली जाए. गुरु जी कहते थे … Read more
विद्वान लोग हमेशा सिक्के का दूसरा पहलू भी देखते हैं. माया मिली न राम … Read more
सन्यास धर्म तो कई जन्मों का परिणाम होता है. गुरु जी ने बचपन में ही निश्चित कर लिया था कि हम गृहस्थ … Read more
गुरु जी कहते थे संसार में कछुए की तरह रहो यानी जिस प्रकार से कछुआ अपने सारे अंग अपनी खोल के अंदर ही समेट कर रखता है ऐसी ही अपनी साधना होनी चाहिए. जरा … Read more