मनका-14
|| हमारा नाम मिलिट्री(Military)में लांस नायक तूमी वाले बाबा था||
यह तो ज्ञात नहीं कि गुरु जी का संन्यास जीवन कब प्रारंभ हुआ लेकिन वे यह अवश्य बोलते थे कि अपने गुरु को ढूंढने के लिए हमने संपूर्ण भारत का भ्रमण किया हुआ है. पूरब पश्चिम उत्तर दक्षिण चारों दिशाओं की रेल सेवा बस सेवा और अलग-अलग तीर्थों के पहुंच मार्ग उन्हें पूर्ण रूप से ज्ञात थे.
प्रथम विश्व युद्ध के समय पुणे में राम टेकरी पर जब वह ठहरे थे तब अखबार में उन्होंने पढ़ा की अंग्रेज सरकार ने इश्तेहार निकाला है कि देश पर संकट आन पड़ा है, सैनिकों की आवश्यकता है. बोले हम भी भर्ती हो जाते हैं भारत भूमि की सेवा करने. अंग्रेजों ने हमें मिलिट्री में भर्ती कर लिया. ट्रेनिंग में हमने राइफल स्टेन गन मशीन गन चलाई और टैंक भी चलाया है.
गुरु जी कहते थे हमारा नाम मिलिट्री(Military)में लांस नायक तूमी वाले बाबा था.
!!संकलन- तारानगर- पंछी तीर्थ!!
ब्रह्मलीन परमहंस संत श्री तूमीवाले दादा जी की जय!!
||गुरु -भक्ति -माला – 108||