मनका-26
|| ” भक्त बीज पलटे नहीं और रहे भक्त का भक्त”||
नर्मदा मैया के अंतर्ध्यान होते ही गुरुजी घाट किनारे-किनारे चल पड़े. थोड़ी ही दूर पर दादा भगवान ठन ठन पाल महाराज अपने कुछ शिष्यों को प्रवचन दे रहे थे. तभी तुमी वाले गुरुजी को दूर से ही देखकर दादा भगवान ठन ठन पाल महाराज बोल उठे, ” अरे वह देखो! गुब्बारा चला आ रहा है! यह तीन जन्म से मुझे ढूंढ रहा है!” तुरंत गुरुजी ने उनके चरण कमलों पर अपना शीश नवाया और प्रेम-अश्रुआें से उनके चरण धो दिए.
सभी लोग मूक दर्शक बन गए. श्रीराम और श्री हनुमान समान इस मिलन को देखते रह गए. तुमी वाले गुरुजी के अनंत जन्मों की तपस्या आज सफल हुई थी. उन्हें साक्षात दादा भगवान ठन ठन पाल महाराज के रूप में पर-ब्रह्म परमेश्वर प्रभु श्रीराम जी के दर्शन हो गए थे. गुरु जी का गुब्बारा समान क्रोध क्षण भर में गायब हो गया. ऐसे परमानंद का वर्णन करना किसी के बस की बात नहीं है.
!!संकलन- तारानगर- पंछी तीर्थ!!
ब्रह्मलीन परमहंस संत श्री तूमीवाले दादा जी की जय!!
||गुरु -भक्ति -माला – 108||