मनका – 27
|| लोहे का आदमी ||
तीनों ब्रह्मलीन परमहंस संत श्री तुमि वाले बाबा जी, दादा भगवान ठन ठन पाल महाराज और धूनी वाले दादाजी मानसिक सृष्टि से उत्पन्न हुए थे. गुरु जी कहते थे हम तीनों एक ही प्रणाली के हैं. हमें साधारण बुद्धि से समझना अति कठिन है.
दादा भगवान ठन ठन पाल महाराज ने अपने शिष्य तूमी वाले दादाजी को प्रथम भेंट में ही यह बता दिया था कि “ तू तीन जन्म से भटक रहा है. तू तीन जन्म का जोगी है! यह तेरा आखरी जन्म है. मेरे साथ रहेगा तो लोहा बनना पड़ेगा रे बच्चे!”
गुरुजी ने तुरंत उत्तर दिया “बनेंगे गुरुजी”. बस फिर क्या था दिन रात सवेरे शाम सातों दिन 24 घंटे क्या, गुरु जी ने 12 बरस अखंड दादा भगवान की सेवा करी. दादा भगवान उनकी तपस्या त्याग और सेवा से अति प्रसन्न थे. तूमी वाले दादा को वह “ लोहे का आदमी ” कहकर बुलाते थे.
!!संकलन- तारानगर- पंछी तीर्थ!!
ब्रह्मलीन परमहंस संत श्री तूमीवाले दादा जी की जय!!
||गुरु -भक्ति -माला – 108||