मनका – 28
|| रहे देव नंगा और सभी काम पूरे सभी काम पूरे ||
ब्रह्मलीन परमहंस संत श्री श्री श्री 1008 दादा भगवान ठन ठन पाल महाराज जी की लीलाओं का वर्णन तो साक्षात पर ब्रह्म परमेश्वर भगवान की लीलाओं के वर्णन समान है. हरि अनंत हरि – हर कथा अनंता.
संपूर्ण जबलपुर मंडला संभाग मैहर एवं आसपास के जिलों में उनकी प्रसिद्धि और अनंत कथाएं आज भी जीवंत हैं. यह सत्य है कि उनका जन्म भी दिव्य था और उनके कर्म भी दिव्य थे. ऐसा कहते हैं कि नर्मदा में किनारे पर कमल के पत्ते पर कमल के फूलों के बीच किसी किसान ने उन्हें एक नन्हे से बालक के रूप में देखा था.
गुरुजी तुमी वाले कहते थे बेटा दादा भगवान ठन ठन पाल महाराज तो ब्रह्म – स्वरूप थे. उनका संसार से कोई पर्दा नहीं था. वह तो एक 6 महीने या साल भर बराबर नन्हे से बालक समान रहते थे. उनका सत्संग उनकी उपस्थिति तो अद्भुत थी. हम तो फिर भी संसार के लिए यह कपड़ा या लंगोट बनते हैं परंतु दादा भगवान दो नंग धड़ंग थे. कोई उनकी लंगोट में कितनी ही कसकर गठान बांध भी दे तो थोड़ी देर में तड़ से खुल जाती थी. वे जहां जाते थे वहां चमत्कार होते थे कुछ ना कुछ आश्चर्य मिश्रित प्रसंग होते ही रहते थे.
!!संकलन- तारानगर- पंछी तीर्थ!!
ब्रह्मलीन परमहंस संत श्री तूमीवाले दादा जी की जय!!
||गुरु -भक्ति -माला – 108||