मनका- 3
|| वट-विश्वास अचल निज-धर्मा||
तारानगर पंछी तीर्थ में गुरुजी का एक प्राचीन सिद्ध वट वृक्ष है. वटवृक्ष याने बड़ का या बरगद का पेड़ जिसकी जड़ें चारों और फैलती हैं. गुरु जी कहते थे बड़ -बहेड़ा एक राशि है. गुरु जी ने इस वटवृक्ष की खोज करी थी. यह वटवृक्ष एक बहेड़े के पेड़ पर उगा था. चूंकि यह ऊपर से नीचे आया, गुरु जी इसे ऊपर वाले का झाड़ कहते थे.
इस वटवृक्ष पर गुरु जी ने 3 मंजिल की कुटिया बनाई थी और अपने गुरु के आदेश अनुसार 12 बरस तपस्या करी थी. गुरु जी कहते थे रामायण में लिखा है वट विश्वास अचल निज धर्मा याने अपने सनातन धर्म में विश्वास अटल होना चाहिए. अक्षय वट का वर्णन वेद पुराणों में भी है. वट वृक्ष हमारे सनातन धर्म का प्रथम कोटि का चिन्ह है.
संकलन- तारानगर महा विश्वविद्यालय केंद्र
! ब्रह्मलीन परमहंस संत श्री तूमीवाले दादाजी की जय !