मनका – 30
|| गुरु चरणों में अमृत सब पातक हारी ||
गुरुजी तूमी वाले कहते थे बेटा हमारे यहां कोई चमत्कार का काम नहीं है हमारे यहां तो बस शांति है. चमत्कार तो दादा भगवान के यहां होते थे. हम तो सिर्फ सेवा में लगे रहते. दादा भगवान सिर्फ एक काला कंबल या काली कमली ओढ़ के बैठे रहते थे. ग्राम जमुनिया में उनका दरबार लगता था. जो आता था उनके दर्शन पाकर और लीलाएं देखकर निहाल हो जाता था.
एक बार उनका एक शिष्य एक सोनी (सुनार) लकवा ग्रस्त हो गया. रात को किसी ने आकर खबर दी तो दादा भगवान ने तुरंत उसे बुला लिया. चार लोगों को उसको उठाकर लाना पड़ा. दादा भगवान ने प्रेम से अपना एक हाथ सोनी के ऊपर रख दिया और अपना दाँया चरण खाट के पास आम के पेड़ पर टिका दिया. उन्होंने लोगों को कहा अब तुम सब जाओ.
प्रातः काल आम के बगीचे में भीड़ लग गई लोगों ने चमत्कार देखा कि सोनी भला चंगा होकर खड़ा हो गया और दादा भगवान को लकवा लग गया. आम के पेड़ के तने पर दादा भगवान का चरण चिन्ह उभर आया. यह चरण चिन्ह आज भी है और स्थान चरण तीर्थ के नाम से प्रसिद्ध है. लोग इसे चरणानंद आश्रम भी कहते हैं.
// सीताराम सीताराम सीताराम सीता //
!!संकलन- तारानगर- पंछी तीर्थ!!
ब्रह्मलीन परमहंस संत श्री तूमीवाले दादा जी की जय!!
||गुरु -भक्ति -माला – 108||