मनका – 32
||”जा तेरा मोड़ा मर जाए !||
गुरुजी तूमी वाले कहते थे बेटा दादा भगवान तो कई बरस तक नंग धड़ंग जंगलों में घूमते रहे. एक पटेल ने उनके हाथ पैर जोड़कर उनको अपने घर बुला लिया. बरेला में उसका लंबा चौड़ा घर था जिसे बाखर बोलते हैं. कई बरस वहां पर धूनी लगाई. रात कहां रुकते थे किसी को पता नहीं. कोई पूछता भी नहीं था. एक रोज लोगों ने देखा हाईवे पर दादा जी पूरे शरीर पर डामर लगा रहे हैं. बोला “अरे यह तो पागल है! ” संध्या के समय बाखर में वे पूरे साफ-सुथरे बैठे दिखे.
बरेला में एक मालगुजारन ने एक रोज बोला “दादा इतनी गंदगी में क्यों पड़े हो? लाओ मैं तुम्हें साफ सुथरा किए देती हूं.” वह प्रेम से अपने घर ले गई और दादा जी को नहला धुला कर अपने यहां आसन पर बैठा दिया उनकी पूजन करी और बोली,” देखो अब कितने सुंदर लग रहे हो!” दादा भगवान बोले “जा तेरा मोड़ा मर जाए” थोड़ी ही देर में मालगुजारन के लड़के की मृत्यु का समाचार आया. रोना-धोना चालू हो गया. दादा भगवान भोले ” माई राम! हम तेरा मोड़ा बन जाए?” दादा भगवान ने फिर उस मालगुजारन के यहां धूनी लगाई. ऐसे बीसीओं परिवार हैं जहां पर दादा भगवान धूनी लगाकर कभी 3 बरस कभी 5 बरस कभी 7 बरस कभी 12-12 बरस रहे और उनका कल्याण किया.
// सीताराम सीताराम सीताराम सीता //
!!संकलन- तारानगर- पंछी तीर्थ!!
ब्रह्मलीन परमहंस संत श्री तूमी वाले दादा जी की जय! दादा भगवान की जय!!
||गुरु -भक्ति -माला – 108||