मनका – 34 || 500 फोटो विदेश में 500 फोटो स्वदेश में एक रूप में||
|| 500 फोटो विदेश में 500 फोटो स्वदेश में एक रूप में||
गुरुजी तूमी वाले कहते थे दादा भगवान को कोई प्रसाद चढ़ाता था तो कहते थे तू ही खिला दे. एक कौर या एक टुकड़ा खाकर बाकी का बंटवा देते थे. गांजा भी नई चिलम का पीते थे एक फूंक मात्र. जबलपुर के निगम साहब 10 – 12 रुमाल जेब में रखे रहते थे और दादा भगवान का मुख साफ करते रहते थे.
सोनी का लकवा लेने के बाद उनके मुख से लार निकलती रहती थी और एक कंधा झुक गया था. मालगुजारन जवान बेटे खोने का दुख सहन नहीं कर पाती तो उसके बेटे बन रहे. कुछ साल बाद जब वह गुजर गई तो उसकी उसकी चिता पर बच्चे सामान रोने लगे “मुझे रोटी कौन देगा!”
विचित्र लीलाएं थी दादा भगवान की! उनके दर्शन को इतनी भीड़ थी कई बार मिलिट्री लगानी पड़ती. जर्मनी में उन्होंने अपने चेले को दर्शन दिए तो उसने प्रसन्नता पूर्वक कहां कि हम आपकी फोटो लेंगे. उसने दादा भगवान को आसन पर बिठाकर उनकी तस्वीर खींची उनकी विदाई करी और कहा कि भारत में आप के दरबार में यह फोटो हम पहुंचा देंगे.
जबलपुर में भी एक चेले ने दरबार में दादा भगवान की तस्वीर ली और 500 प्रतियां दरबार में प्रस्तुत करता है तो देखता क्या है कि जर्मनी से भी हुबहू वैसी ही 500 तस्वीरें उसी समय आ पहुंची!
// सीताराम सीताराम सीताराम सीता //
!!संकलन- तारानगर- पंछी तीर्थ!!
ब्रह्मलीन परमहंस संत श्री तूमी वाले दादा जी की जय!! दादा भगवान ठन ठन पाल की जय!!
||गुरु -भक्ति -माला – 108||