मनका-37 || ” आतिम जातिम साध है इत विध इत महेश “||
” आतिम जातिम साध है इत विध इत महेश “
गुरुजी तूमी वाले बताते थे कि एक बार महाशिवरात्रि को हमने दादा भगवान से प्रश्न किया कि आज के दिन का महत्तम ( महत्व )क्या है ? उन्होंने उत्तर दिया कि बेटा आज सृष्टि का प्रथम दिन है .
अर्धनारीश्वर भगवान आज प्रथम ज्योति पुंज के रूप में प्रकट हुए थे. इन्होंने ही ब्रह्मा और विष्णु की उत्पत्ति करी. आगे हमने पूछा कि हमारे लायक कोई बात हो तो बताओ , तो बोले “आतिम जातिम साध है इत विध इत महेश” बेटा तुम आती को साधो और जाति को साधो.
महापुरुषों की वाणी बड़ी अट पट होती है कहते हैं “अटपट वाणी झटपट लिखी न जाए.” एक ही वाणी एक ही महावाक्य के कई अर्थ निकलते हैं. शरीर में श्वास है जो आ रही है और जा रही है. शरीर भोजन से चलता है जो आ रहा है और जा रहा है . गुरुजी तुमी वाले बड़ के पेड़ पर रहे जिसकी जड़ें ऊपर से आ रही है और नीचे जा रही हैं और इसी बड़ के पेड़ पर गुरु जी ने साधना करी.
// सीताराम सीताराम सीताराम सीता //
||गुरु -भक्ति -माला – 108||
!!संकलन- तारानगर- पंछी तीर्थ!!
ब्रह्मलीन परमहंस संत श्री तूमी वाले दादा जी की जय!!
दादा भगवान ठन ठन पाल की जय!!