मनका-6
|| दादा धूनीवाले की कृपा से हमारा जन्म हुआ है||
संत महात्माओं का जन्म अद्भुत होता है. गीता में स्वयं ईश्वर कहते हैं मैं अपनी संपूर्ण माया को वशीभूत करके प्रकट होता हूं और लोग मुझे साधारण समझते हैं.
यह उस काल की बात है जब श्रीधूनी वाले दादा साईं खेड़ा में प्रगट थे. साईं खेड़ा में उनका दरबार लगता था. ब्रह्मलीन संत श्रीतूमी वाले दादा की माता राम संतान सुख की इच्छा से उनके दरबार पहुंची थी. दादा धूनीवाले ने बगैर उनके कहे एक नारियल उनकी तरफ उछाल दिया और कहां जा तेरे मोड़ा हो जाए. वह नारियल उन्होंने अपने आंचल में झेेल लिया और इसके पश्चात ही गुरु जी का जन्म हुआ था.
!!संकलन- तारानगर- पंछी तीर्थ!!
ब्रह्मलीन परमहंस संत श्री तूमीवाले दादा जी की जय!!