मनका-7
||जननी जने तो ऐसे जन के दाता के सूर और नहीं तो वृथा गवाएं नूर ||
भारत भूमि की माताओं की संतान शूरवीर होना चाहिए अन्यथा जीवन व्यर्थ है.
श्री तूमीवाले दादाजी का जन्म ग्राम नयागांव नंद वाड़ा का था. यह मध्य प्रदेश में पोैसार पिपरिया के निकट है. आगे पचमढ़ी का मार्ग है.
गुरु जी कहते थे हमारे पिताजी हर कुड़ी के मालगुजार थे. मां धनोरा ग्राम की थी और नाना जी का गल्ला व्यापार का काम था.
गुरु जी कहते थे हमने तो मां के गर्भ में ही 3 जिलों में यात्रा करी है और अपने गुरु को ढूंढने के लिए हमने बेटा संपूर्ण भारत भ्रमण किया हुआ है.
!!संकलन- तारानगर- पंछी तीर्थ!!
ब्रह्मलीन परमहंस संत श्री तूमीवाले दादा जी की जय!!