मनका-8
|| कोई बनावटी लाल है तो कोई कुदरती लाल||
गुरु जी के जन्म वर्ष या आयु का किसी को भी ठीक ठीक ज्ञात नहीं है परंतु इतना अवश्य है की उनकी आयु लगभग डेढ़ सौ बरस थी. गुरुजी धूनी वाले दादा की जमात में भी थे जो विक्टोरिया रानी के काल में थी. 102 बरस के बूढ़े भी कहते थे हमने बचपन से इन्हें ऐसा ही देखा है.
बचपन से ही गुरुजी का शरीर उन्होंने दृढ़ बनाया था. वे सदैव प्रकृति के सानिध्य में रहे. एक पीतल का बड़ा गिलास भरकर गाय का दूध सवेरे पीते थे और दौड़ लगाने जाते थे. बैलगाड़ी वह बहुत तेज दौड़ाते थे, छकड़े की लड़ाई जीतते थे , गेड़े की लड़ाई जीतते थे और तैराकी में उनसे कोई होड़ नहीं करता था. खेती बाड़ी में फसल को देखकर वह यह बता देते थे बक्खर में क्या कमी रह गई थी. उनका कहना था बेटा संसार के हमारे सभी काम पूरे हैं.
!!संकलन- तारानगर- पंछी तीर्थ!!
ब्रह्मलीन परमहंस संत श्री तूमीवाले दादा जी की जय!!