मनका-9
|| दो पैर का मनुष्य, चार का गधा, छह की मक्खी, आठ की मकड़ी ||
गुरु जी कहा करते थे हमारे नाना जी बड़े सयाने थे. बचपन में वह हमसे पूछते थे कि बच्चे दो पैर का क्या होता है हम कहते मनुष्य. फिर पूछते 4 पैर का क्या होता है हम कहते गधा. याने मनुष्य का ब्याह हो गया.
फिर पूछते 6 पैर की क्या होती है हम कहते मक्खी यानी संतान हो गई भरण पोषण चालू हो गया. मक्खी सामान यहां उड़ो वहां उड़ो दौड़ भाग चालू. फिर पूछते आठ पैर की क्या होती है हम कहते मकड़ी यानी दूसरी संतान. मकड़ी क्या करती है जाला बुनती है अपना घर बनाती है और जाला बुनकर उसी में एक दिन अपनी इहलीला समाप्त कर लेती है.उसी में खब के रह जाती है.तो बच्चे तुम क्या बनोगे तो हम कहते मनुष्य बनेंगे ब्याव नहीं करेंगे बाबा बनेंगे.
यह सत्य है गुरुजी बाल ब्रह्मचारी थे.
!!संकलन- तारानगर- पंछी तीर्थ!!
ब्रह्मलीन परमहंस संत श्री तूमीवाले दादा जी की जय!!
||गुरु -भक्ति -माला – 108||