मनका – 28
|| रहे देव नंगा और सभी काम पूरे सभी काम पूरे ||
ब्रह्मलीन परमहंस संत श्री श्री श्री 1008 दादा भगवान ठन ठन पाल महाराज जी की लीलाओं का वर्णन तो साक्षात पर ब्रह्म परमेश्वर भगवान की लीलाओं के वर्णन … Read more
ब्रह्मलीन परमहंस संत श्री श्री श्री 1008 दादा भगवान ठन ठन पाल महाराज जी की लीलाओं का वर्णन तो साक्षात पर ब्रह्म परमेश्वर भगवान की लीलाओं के वर्णन … Read more
तीनों ब्रह्मलीन परमहंस संत श्री तुमि वाले बाबा जी, दादा भगवान ठन ठन पाल महाराज और धूनी वाले दादाजी मानसिक सृष्टि से उत्पन्न हुए थे. गुरु जी कहते थे हम तीनों एक ही प्रणाली के … Read more
नर्मदा मैया के अंतर्ध्यान होते ही गुरुजी घाट किनारे-किनारे चल पड़े. थोड़ी ही दूर पर दादा भगवान ठन ठन पाल महाराज अपने कुछ शिष्यों को प्रवचन दे रहे थे. … Read more
मां विंध्यवासिनी सलकनपुर के बताए मार्ग पर गुरुजी चल पड़े. अमरकंठ से उन्होंने अपनी परिक्रमा पैदल प्रारंभ करी जो तीन साल तीन महीने तेरह दिन की होती है … Read more
अवश्य ही अपने पूर्व जन्म के संस्कारों के कारण गुरु जी की मनोरथ सिर्फ और सिर्फ अपने गुरु की प्राप्ति की थी. नर्मदा क्षेत्र में पुनः आने पर होशंगाबाद और अब्दुल्ला … Read more
एक अच्छा शिक्षक संपूर्ण कक्षा पर अपनी वाक्शक्ति और अपनी उपस्थिति द्वारा पकड़ बनाए रखता है. प्रथम पंक्ति और अंतिम पंक्ति मैं … Read more
जिस प्रकार से आदि शंकराचार्य ने संपूर्ण भारत भ्रमण किया था उसी प्रकार से गुरु जी ने भी संपूर्ण भारत भ्रमण किया और पुनः नर्मदा क्षेत्र में आ गए. उन्होंने यह सार निकाला … Read more
तारानगर पंछी तीर्थ में गुरुजी ने तो अंत समय में आकर विश्राम किया था. इसके पहले उनका सिर्फ और सिर्फ भृमण था. वे सदा चलते रहते थे … Read more
सत्य तो यह है कि गुरुजी का अनुभव और उनकी वाणी वेदों से परे थी. ऐतिहासिक था उनका जीवन. मध्य आयु में उत्तर की ओर गुरुजी ने … Read more
|| लाखों योजन पर्वत ऊंचे घाटी विकट करोड़ और करकर जतन फिरे बहुतेरे पहुंचे बिरला सूर||
एक पुराना गीत है ,तूने रात बिताई सोए के दिवस बिताया खाए के हीरा जन्म अमोल है कौड़ी बदली जाए. गुरु जी कहते थे … Read more