मनका-18
||चलती चकिया देखकर दिया कबीरा रोए, दोई पाटन के बीच में साबुत बचा न कोय और जो किले से लग गया उसका बाल न बांका होय||
विद्वान लोग हमेशा सिक्के का दूसरा पहलू भी देखते हैं. माया मिली न राम … Read more
विद्वान लोग हमेशा सिक्के का दूसरा पहलू भी देखते हैं. माया मिली न राम … Read more
सन्यास धर्म तो कई जन्मों का परिणाम होता है. गुरु जी ने बचपन में ही निश्चित कर लिया था कि हम गृहस्थ … Read more
गुरु जी कहते थे संसार में कछुए की तरह रहो यानी जिस प्रकार से कछुआ अपने सारे अंग अपनी खोल के अंदर ही समेट कर रखता है ऐसी ही अपनी साधना होनी चाहिए. जरा … Read more
गुरु जी कहते थे हम संध्या के समय मिलिट्री में जब भजन गाया करते थे तो अंग्रेजों को यह पता चल गया की पलटन में … Read more
यह तो ज्ञात नहीं कि गुरु जी का संन्यास जीवन कब प्रारंभ हुआ लेकिन वे यह अवश्य बोलते थे कि अपने गुरु को ढूंढने के लिए हमने संपूर्ण भारत का … Read more
गुरुजी का तूमा से प्रेम बचपन से था. गुरु जी कहा करते थे 5 तूमियों का दान 100 गउओं के दान के बराबर है. यह तो कहना बड़ा मुश्किल है … Read more
गुरु जी कहा करते थे हम तो भजन गा गा कर बाबा बने हैं. बचपन से ही हमें भजन प्रिय हैं. … Read more
गुरु जी की पितृ भूमि नयागांव और नंदवाड़ा के बीच एक प्राचीन कुब्जा नदी बहती है. नया गांव में एक रात एक साधु पहुंचा. लोगों ने इच्छा प्रकट करी कि … Read more
गुरु जी कहते थे पूरे भारतवर्ष में … Read more
गुरु जी कहा करते थे हमारे नाना जी बड़े सयाने थे. बचपन में वह हमसे पूछते थे कि बच्चे दो पैर का क्या होता है … Read more