मनका – 33
|| मेजर जसवंत सिंह ||
जबलपुर के आगे कैंट रोड फिर बरेला और अंदर जमुनिया ग्राम है. मिलिट्री का छावनी इलाका होने के कारण मिलिट्री वालों का भी आना जाना वहां पर बना रहता था. एक मेजर इतवार इतवार दादा … Read more
जबलपुर के आगे कैंट रोड फिर बरेला और अंदर जमुनिया ग्राम है. मिलिट्री का छावनी इलाका होने के कारण मिलिट्री वालों का भी आना जाना वहां पर बना रहता था. एक मेजर इतवार इतवार दादा … Read more
गुरुजी तूमी वाले कहते थे बेटा दादा भगवान तो कई बरस तक नंग धड़ंग जंगलों में घूमते रहे. एक पटेल ने उनके हाथ पैर जोड़कर उनको अपने घर बुला लिया. बरेला में उसका लंबा … Read more
मां विंध्यवासिनी सलकनपुर के बताए मार्ग पर गुरुजी चल पड़े. अमरकंठ से उन्होंने अपनी परिक्रमा पैदल प्रारंभ करी जो तीन साल तीन महीने तेरह दिन की होती है … Read more
सन्यास धर्म तो कई जन्मों का परिणाम होता है. गुरु जी ने बचपन में ही निश्चित कर लिया था कि हम गृहस्थ … Read more
गुरु जी कहते थे संसार में कछुए की तरह रहो यानी जिस प्रकार से कछुआ अपने सारे अंग अपनी खोल के अंदर ही समेट कर रखता है ऐसी ही अपनी साधना होनी चाहिए. जरा … Read more
गोस्वामी तुलसीदास जी कहते हैं सब वृक्षों की लेखनी बनाऊं और पूरी धरती का कागज करूं तो भी भगवान राम की महिमा का वर्णन नहीं किया जा सकता. इसी प्रकार से सच्चे गुरु की महिमा उनके जीवन चरित्र का भी … Read more